दिव्या सिंह (VII-B) review “मानुष जनम अमोल”

Book Reviews

Class: VII-B

Name of book: मानुष जनम अमोल

Author of Books : सूर्य कांत शर्मा

Summary:

समीक्षित पुस्तक की बात करें तो यह पुस्तक एक अनुसंधान का प्रसंस्कृत रूप है जोकि प्रोफेसर बल्देव भाई शर्मा के जीवन और कृतित्व पर प्रमाणिक रचनात्मक परंतु रोचक जानकारी संस्मरण और विचारोत्तेजक लेख आलेखों विचारों को बेहद संजीदगी परंतु सादगी से पेश करती है। वस्तुतः हिंदी जगत को और वह भी हिंदी पत्रकारिता जगत को इस तरह की पुस्तकों की महती आवश्यकता है और यह पुस्तक क्यों पढ़ी जाए?! क्या खास है! आज का युवा या सुधि पाठक का मन और मस्तिष्क भी इसी दायरे में सोचता है। पुस्तक को पढ़ने के बहुत से कारण हैं! एक अबोध बालक जिसके पिता का जीवन राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र के उत्थान कार्य में बीता और वो भी सन्यासी की तरह, वहां आपको भारतीय संस्कृति और समाज की विभूतियां उदाहरणार्थ हृदय सम्राट पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी गुरुजी गोलवलकर जी राजमाता विजयाराजे सिंधिया शरद चंद्र मेहरोत्रा श्री ज्योति जी राजेंद्र जी मानिकचंद वाजपेई जी बांकेलाल गॉड बाबा योगेंद्र ओमपाल सिंह विजय प्रकाश अब संत विजय कौशल महाराज भगत सिंह कोश्यारी रामाधार द्विवेदी अपने अपने व्यक्तित्व की छटाई बिखेरते मानवीय मूल्यों और संवेदना ओं को सहेज ते हुए वर्णित हैं। कोरोना से लड़ते जीत दे और प्रगति के पथ पर अग्रसर होते राष्ट्र के बारे में बलदेव भाई शर्मा ने 18 प्रश्नों में एक सहज सरल तथ्यात्मक वर्णन पाठकों को एक दिव्य यात्रा पर ले जाता है यह चैप्टर विशेष रूप से युवा विद्यार्थियों शोधार्थियों और समाज के अन्य लोगों को अवश्य पढ़ना चाहिए।

कैसे एक युवा पत्रकार अपने जीवन में संघर्ष कर स्कूल के प्रधानाचार्य से पत्र स्वदेश में आकर पत्रकारिता की ओर आकर्षित हो जाता है और उसके बाद अनेकों राष्ट्रीय महत्व के समाचार पत्रों में पत्रकारिता और राष्ट्रवाद की अलख जगाता यह व्यक्तित्व बहुत से समाचार पत्रों के प्रतिष्ठित पदों यथा एसोसिएट एडिटर और मुख्य संपादक के पद पर कैसे पहुंचा और उस यात्रा में वे क्या मूल्य थे जो उसे संजोने सहेजने पड़े और वे सभी मूल्य उसकी पत्रकारिता यात्रा में मील के पत्थर साबित हुए।

यूं ही देखा जाए तो स्थानीय मुद्दों को शामिल करना ,वहां के स्थानीय पाठकों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप होता है और वह समाचार पत्र से जुड़ कर उसे अपना माध्यम मानते हैं और यही इस प्रकरण में यह सही मायनों में संस्मरण में है। तीन, पत्रकारिता एक मिशन है या प्रोफेशन?! यह पुस्तक इस प्रश्न का बखूबी जवाब देती है।

चार, अक्सर देखा जाता है की पत्रकारिता में जब कोई व्यक्ति नाम और काम से जाना जाता है और, तिस पर यदि उसे कोई सरकारी संस्थान की अध्यक्षता मिल जाए तो वह अपने कर्मों की इतिश्री समझ लेता है बलदेव भाई शर्मा ने जब राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की अध्यक्षता ग्रहण की तो उन्होंने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के मुख्य उद्देश्य पुस्तक पठनीयता के प्रचार प्रसार और उसके विकास को सारगर्भित अंदाज से क्रियान्वित करने के लिए वे सभी प्रयास किए जो किसी प्रोफेशनल द्वारा किए जाने चाहिए थे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पास अपनी कोई पत्रिका नहीं थी ऐसे में’ पुस्तक संस्कृति ‘नामक पत्रिका का संपादन और संचालन इन्ही के कार्यकाल में हुआ और यह पत्रिका अब साहित्यिक पत्रिकाओं में अपना विशेष स्थान बना चुकी है इस पुस्तक समीक्षाएं और समीचीन पुस्तक विषयों को विशेषज्ञों और अनुभवी व्यक्तियों के आलोक हो विचारों से आम जन को सूचित एवं शिक्षित किया जाता है। जाने माने पत्रकार और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास में कार्यरत श्री पंकज चतुर्वेदी जी का संक्षिप्त परंतु सारगर्भित आलेख इस मूर्धन्य पत्रकार की दूरगामी परंतु त्वरित कार्यशैली का परिचय देता है।

पांच , नवोदित पत्रकारों और शोधार्थियों को बेहतर आलेख फीचर्स व पत्रकारिता की अन्य विधाओं से परिचित होने के लिए भी यह पुस्तक एक रेफरेंसबुक की तरह से प्रयोग में लाई जा सकती है। पत्रकारिता और लेखन अध्याय ने बलदेव भाई शर्मा की पत्रकारिता से संबंधित क्षेत्रों पर दिए गए योगदान को न केवल बताया गया है वर्णन उनके कुछ लेख और साक्षात्कार ओं का चयन भी करके चयनित 10 लेखों में इस तथ्य को विस्तार से समझाने की सफल कोशिश की गई है इस मूर्धन्य पत्रकार द्वारा संपादित की गई और लिखी हुई पुस्तकों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई है।
कहते हैं कि सतत अनुभव और आकलन पत्रकारों को एक अनूठी दृष्टि से नवाज़ता है यथा 2011 नहीं यह राजनीतिक आकलन प्रस्तुत कर दिया गया था जिसमें वर्तमान प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने की संभावना व्यक्त कर दी थी यह उल्लेख भी इस पुस्तक में वर्णित है।

अस्तु पुस्तक शोधार्थियों पत्रकारिता के विद्यार्थियों अध्यापकों मीडिया कर्मियों के अलावा समाज के अन्य वर्गों जिनमें युवा वर्ग भी शामिल है पसंद आएगी और कहीं ना कहीं युवा पत्रकार भी अपने आप को इस मुकाम पर लाने की भविष्य में सुखद प्रयास करेंगे।