पुस्तक का नाम : तमस
लेखक : भीष्म साहनी
परिचय:
“भीष्म साहनी की ‘तमस’ भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण कृति है, जो 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को प्रस्तुत करती है। यह उपन्यास विभाजन के समय धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक उथल-पुथल और आम लोगों के जीवन में आई पीड़ा को यथार्थ रूप में चित्रित करता है। ‘तमस’ का अर्थ है अंधकार या अज्ञान, जो उपन्यास की थीम को बिल्कुल सटीक दर्शाता है।
उपन्यास की विषयवस्तु:
उपन्यास का मुख्य कथानक विभाजन के समय के सामाजिक और धार्मिक संघर्षों के इर्द-गिर्द घूमता है। भीष्म साहनी ने यह दिखाया है कि कैसे धर्म और राजनीति के नाम पर फैलने वाला आतंक आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है।
- धर्म और राजनीति का प्रभाव: उपन्यास में यह स्पष्ट किया गया है कि कैसे राजनीतिक फैसले और धार्मिक कट्टरता ने लोगों को भय और असुरक्षा में डाल दिया।
- मानवीय पीड़ा: विभाजन के समय हजारों परिवारों का जीवन बर्बाद हुआ। ‘तमस’ में इन परिवारों की पीड़ा, विस्थापन और संघर्ष को भावपूर्ण रूप में दर्शाया गया है।
- सामाजिक यथार्थ: उपन्यास समाज के विभाजनों, सामाजिक कमजोरियों और मानवीय त्रासदियों को उजागर करता है।
पात्र और उनका महत्व:
भीष्म साहनी के पात्र जीवंत और यथार्थवादी हैं। वे पाठक को सीधे कथा के केंद्र में ले जाते हैं। प्रमुख पात्रों के माध्यम से लेखक ने यह दिखाया है कि आम व्यक्ति की संवेदनाएँ, उसकी हिम्मत और उसकी त्रासदी विभाजन के दौरान कितनी गहन थी।
- पात्रों के माध्यम से धार्मिक कट्टरता के विनाशकारी प्रभाव को स्पष्ट किया गया है।
- लेखक ने यह भी दिखाया है कि व्यक्ति की नैतिकता और मानवीय संवेदनाएँ संकट के समय कितनी महत्वपूर्ण होती हैं।
भाषा और शैली:
भीष्म साहनी की भाषा सरल, प्रवाही और सजीव है। उनका लेखन यथार्थवाद पर आधारित है, जिससे पाठक को विभाजन की भयावहता का पूरा अनुभव होता है। पात्रों के संवाद और घटनाओं का चित्रण पाठक को भीतर तक झकझोर देता है।
- कहानी की शैली पाठक को सोचने और महसूस करने पर मजबूर करती है।
- लेखक ने अत्यंत संवेदनशील ढंग से सामाजिक और राजनीतिक बुराइयों को उजागर किया है।
संदेश और महत्व:
‘तमस’ केवल एक ऐतिहासिक उपन्यास नहीं है। यह आज भी धर्म, राजनीति और मानवीय मूल्यों पर सवाल उठाता है। यह उपन्यास हमें याद दिलाता है कि कट्टरता और असहिष्णुता का अंधकार समाज के लिए कितना घातक हो सकता है।
- यह उपन्यास सामाजिक चेतना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- मानवता और नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूकता पैदा करता है।
निष्कर्ष:
भीष्म साहनी की ‘तमस’ एक साहित्यिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है। यह उपन्यास इतिहास, राजनीति और मानव संवेदनाओं को समझने का सशक्त माध्यम है। जो पाठक भारतीय इतिहास और समाज के विविध पहलुओं को जानना चाहते हैं, उनके लिए ‘तमस’ एक अनिवार्य पाठ है।
सिफारिश:
यदि आप विभाजन, धार्मिक और सामाजिक संघर्षों तथा मानवीय पीड़ा को समझना चाहते हैं, तो ‘तमस’ अवश्य पढ़ें। यह उपन्यास न केवल इतिहास की सीख देता है, बल्कि आज के समाज के लिए चेतावनी भी प्रस्तुत करता है।